राजस्थान के गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर खरी उतरती है हरिवंश राय बच्चन की कविता मधुशाला, ..बैर बढ़ाते मंदिर-मस्जिद, मेल कराती मधुशाला..!


राजस्थान में लॉकडाउन में शराब की दुकानें खुल सकती हैं, लेकिन मंदिर-मस्जिद नहीं!!?


न्यूजडेस्क। देश के सुविख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन का काव्य संग्रह मधुशाला 1935 में प्रकाशित हुआ था। आज भी मधुशाला का एक छंद बैर बढ़ाते मंदिर मस्जिद, मेल कराती मधुशाला सभी की जुबान पर है। इस छंद पर कभी कोई विवाद भी नहीं हुआ। राजस्थान के गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर बच्चन का यह छंद आज भी खरा उतर रहा है। कोरोना वायरस के प्रकोप और लॉकडाउन के बाद भी गहलोत सरकार ने गत 18 मई से ही प्रदेश भर में देशी-विदेशी शराब की दुकानें खोल दी है। लेकिन अभी तक भी मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे, चर्च आदि धार्मिक स्थलों को बंद ही रखा है। हालांकि लॉकडाउन-5 में केन्द्र सरकार ने 8 जून से धार्मिक स्थलों को खोलने की छूट भी दे दी है। इसी छूट को देखते हुए पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने धार्मिक स्थल खोल दिए हैं। 31 मई को गहलोत सरकार ने लॉकडाउन-5 की जो गाइड लाइन जारी की है, उसमें धार्मिक स्थलों को प्रतिबंधित सूची में रखा है। इसलिए अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि राजस्थान में धार्मिक स्थल कब से खुलेंगे। धार्मिक स्थलों को नहीं खोलने के पीछे सरकार का तर्क सोशल डिस्टेंसिंग की पालना का है। सरकार को लगता है कि लोग जब मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च में जाएंगे तब सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होगी। चूंकि कोरोना वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है, इसलिए फिलहाल धार्मिक स्थल नहीं खोले जा रहे हैं। सरकार का अपना तर्क हो सकता है लेकिन क्या शराबियों के मुकाबले में श्रद्धालु नासमझ हैं? शराब खरीदने वाला तो सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कर सकता है, लेकिन श्रद्धालु नहीं। जबकि धार्मिक स्थल पर जाने से आत्मबल बढ़ता है और शराब पीने से शरीर खराब होता है। मंदिर-मस्जिद में प्रार्थना दुआ करने वाले व्यक्ति का घर का माहौल अच्छा होता है, जबकि शराब पीने वाले व्यक्ति के घर के सदस्य खासकर महिलाएं बहुत परेशान होती हैं। यूं तो मुख्यमंत्री गहलोत की छवि गांधीवादी है, इसलिए शराबियों के परिवार की स्थिति से वे भाली भांति परिचित होंगे, लेकिन इसके बाावजूद भी राजस्थान में लॉकडाउन में शराब की दुकानें खुल सकती है, लेकिन मंदिर मस्जिद नहीं। सीएम गहलोत माने या नहीं, लेकिन धार्मिक स्थल नहीं खुलने से धर्मप्रेमी लोग बेहद दु:खी हैं। यह माना कि शराब की बिक्री से सरकार को करोडा़ें रुपए के राजस्व की प्राप्ति होती है, जबकि धार्मिक स्थलों से कुछ प्राप्त नहीं होता, लेकिन फिर सरकार को धर्मप्रेमियों की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए। ऐसे बहुत से श्रद्धालु हैं जो सुबह स्नान कर सबसे पहले मंदिर में भगवान की प्रतिमा के दर्शन करते हैं। दर्शन के बाद अन्न जल ग्रह करते हैं। एक तरफ राजस्थान सरकार का बार बार कहना है कि केन्द्र की गाइड लाइन का पालन किया जाएगा। अब केन्द्र ने धार्मिक स्थलों को खोलने की छूट दे दी है, तब राजस्थान में प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है। मनोवैज्ञानिक और शिक्षाविद प्रोफेसर डीआर मल्होत्रा का मानना है कि शराब पीने वाले व्यक्ति के मुकाबले में धर्मप्रेमी व्यक्ति ज्यादा अनुशासित होता है, इसलिए जब शराब की दुकानें खोल दी गई तो धार्मिक स्थलों को भी खोलना चाहिए। 
(साभार: एसपी.मित्तल)