भारतीय संस्कृति में नैतिक मूल्यों का अधिक महत्त्व : सुनील सांखला जैन



इंडियन सीनियर चैम्बर का वेबिनार के माध्यम से व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न


बेंगलुरु। इंडियन सीनियर चैम्बर द्वारा प्रति सप्ताह अपने सदस्यों एवं सदस्यों के परिवार के लिए वेबिनार के माध्यम से व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित करता है। इसी श्रृंखला में इंडियन सीनियर चैम्बर के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक और प्रेरक वक्ता सुनील सांखला जैन द्वारा 'सुखी जीवन के लिए नैतिकता से जीवन व्यतीत करे' विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान सुनील सांखला जैन ने बताया कि किसी समाज, राष्ट्र और धर्म के द्वारा बनाये गए नियमों व आदर्शों के अनुसार आचरण करना नैतिकता है। भारतीय संस्कृति में सदैव नैतिक मूल्यों को अधिक महत्त्व दिया गया है। भारतीय दर्शन में दया दान, अहिंसा, करुणा, मानव कल्याण और संयम को प्रमुख नैतिक मुलुयों को स्वीकार किया गया है। भारतीय सामाजिक व्यवस्था सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय और सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे निरामय पर आधारित है। यह व्यवस्था सभी को जीने, सुरक्षित रहने और आगे बढने का समान अवसर देती है। समाज के माध्यम से ही मानव नैतिक आदर्शों को प्राप्त करती है। नैतिकता, सामाजिक जीवन को सुगम बनती है और समाज को अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित रखती है ।
उन्होंने कहा कि समाज के अंदर व्यक्ति कई बंधनों से बंधा है, इसलिए उसे हमेशा गतिशील रहना चाहिए। आज का युग डिजिटल का युग है। इसके कारण व्यक्ति का व्यवहार, रहन-सहन, खान पान, विचार भी बदल गए हैं। वर्तमान समय में मानव और समाज दोनों ही विविध भौतिक साधनों से संपन्न है, फिर भी उनका मन अशांत है। व्‍यक्तिगत रूप से नैतिक जीवन जीने का अर्थ है कि हम दूसरों को हानि न पहुंचाएं और यदि संभव हो तो उनकी सहायता करें। ऐसा करते हुए यदि हम दूसरों की भलाई को अपनी नैतिकता का आधार बना लें तो यह नैतिकता का एक व्‍यापक दृष्टिकोण बन जाएगा। हमें अपनी जीवन शैली में इन तथ्‍यों को ध्‍यान में रखना चाहिए। सार्वभौमिक अथवा वैश्विक उत्‍तरदायित्‍व की भावना मानवीय स्‍तर पर काम करती है। हमें अन्‍य मनुष्‍यों की चिंता है क्‍योंकि : मैं भी उनमें से एक हूँ, मेरा कुशल मंगल उन पर निर्भर है फिर चाहे अंतर जैसे भी हों। अंतर तो हमेशा होते हैं पर वे भी सहायक हो सकते हैं। आज देशों और महाद्वीपों के बीच बहुत गहरी आपसी निर्भरता है। इस यथार्थ को देखते हुए हमें वास्‍तव में वैश्विक उत्‍तरदायित्‍व की आवश्‍यकता है। आपका अपना हित दूसरों के विकास तथा हित पर निर्भर है। तो अपने हित के लिए भी आपको दूसरों के हितों का ख्‍याल रखना होगा। उन्होंने कहा कि करुणा के साथ स्‍वाभाविकरूप से क्षमा की भावना आ जाती है। आप बताया कि  महत्‍वपूर्ण बात है हमारी प्रेरणा; हमारे मन में दूसरों के लिए सच्‍चा सरोकार होना चाहिए। नैतिकता समाज सामाजिक जीवन के सुगम बनाती है और समाज में अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण रखती है। समाज राष्ट्र में एकीकरण और अस्मिता की रक्षा नैतिकता के अभाव में नहीं हो सकती है। विश्व बंधुत्व की भावना, मानवतावाद, समता भाव, प्रेम और त्याग जैसे नैतिक गुणों के अभाव में विश्व शांति, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, मैत्री आदि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज दुनिया में नैतिकता की कमी है। आपने प्रेरणा दी कि यदि केवल लोगों को नैतिकता से व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया जाता है, तो अगर वे केवल अपनी सोच में नैतिकता को अधिक महत्वपूर्ण बनाते हैं, तो दुनिया एक बेहतर जगह होगी। सभी का जीवन सुखमय होगा। संस्था के अध्यक्ष शिव प्रसाद ने सभी का स्वागत किया और प्रशिक्षक और प्रेरक वक्ता सुनील सांखला जैन का अभिनंदन किया। मंत्री नडिग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर संस्था के सदस्य एवं उनके परिजनों ने बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में भाग लिया।