बीकानेर, 19 अगस्त। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न स्वर्गीय राजीव गांधी की 76 जयन्ती की पूर्व वेला पर ब.ज.सि. रामपुरिया जैन विधि महाविद्यालय में राजीव गांधी स्टडी सर्कल की ओर से ’दल बदल विरोधी कानून और संसदीय लोकतंत्र को आहत करने वाली प्रवृतियां’विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई। उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी के मुख्य आतिथ्य में और महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में प्रधानमंत्री स्वगीय राजीव गांधी को भारत में संचार क्रांति का जनक बताया और उनके द्वारा दल विरोधी कानून बनाने, पंचायती राज और स्वायत शासन प्रणाली को मजबूत बनाने में उनके योगदान को याद किया गया। संगोष्ठी में ऊर्जा मंत्री डाॅ.बी.डी.कल्ला का वीडियो संदेश का प्रसारण किया गया , जिसमें उन्होंने स्व.राजीव गांधी का 21 वीं सदी मंे भारत को विश्व पटल पर ऊंचाई पर लेजाने का सपना देखा था। उन्होंने कहा कि हम सभी को उनके सपनों को साकार करते हुए देश की एकता और अखण्डता को कायम रखने के लिए काम करना है। उन्होंने स्व.राजीव गांधी का संचार क्रांति और कम्प्यूटर और नई शिक्षा प्रणाली में दिए उनके योगदान की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दलबदल कानन का मुख्य उद्देश्य आयाराम गया राम प्रथा को समाप्त करना है। राजीव गांधी की दलबदल कानून लाने में अपनी अहम भूमिका रखी। डाॅ.कल्ला ने बताया कि स्व.राजीव गांधी के प्रयासों ने ही सूचना क्रांति, मताधिकार, पंचायती राज को सुदृढ़ बनाने में योगदान दिया।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि दल-बदल विरोधी कानून क्यों लाया गया है, इस पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में राजनीतिक दल काफी अहम भूमिका अदा करते हैं और सैद्धांतिक तौर पर राजनीतिक दलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका यह है कि वे सामूहिक रूप से लोकतांत्रिक फैसला लेकर जनता के हित में काम करें। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधियों की नैतिक जिम्मेदारी है, सरकारों को स्थायतित्व दे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोकतंत्र को संरक्षित करने के लिए दलबदल कानून का कठोरता से अनुपालन किया जाना जरूरी है। भाटी ने कहा कि राजनैतिक दलों द्वारा दल बदलने को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मतदाताओं के साथ धोखा बताया था और उन्होंने वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन के माध्यम से देश में ‘दल-बदल विरोधी कानून’ पारित किया । साथ ही संविधान की दसवीं अनुसूची जिसमें दल-बदल विरोधी कानून शामिल है को संशोधन के माध्यम से भारतीय से संविधान जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि इस कानून का मुख्य उद्देश्य भारतीय राजनीति में ‘दल-बदल’ की कुप्रथा को समाप्त करना था, जो कि 1970 के दशक से पूर्व भारतीय राजनीति में काफी प्रचलित थी। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपतिप्रो. विनोद कुमार सिंह ने स्व. राजीव गांधी को भारत में कम्प्यूटर क्रांति का जनक बताया और कहा कि भारत की इन्फोर्मेशन टेक्नोलाॅजी और टेलीकाॅम रेवलूशन का पिता एवं डिजिटल इण्डिया का आर्केटेक्ट कहा जाता हैं। उनके शासनकाल में अगस्त 1984 मंे सेन्टर फाॅर डवेलपमेन्ट आॅफ टेलिमैटिक्स की स्थापना हुई जिससे देश मंे कम्युनिकेशन टेक्नाॅलजी को विकसित किया जा सका। वह राजीव गांधी के ही प्रयास थे, जिसके कारण देश में पीसीओ की क्रांति आई। कुलपति ने ’दल बदल विरोधी कानून और संसदीय लोकतंत्र को आहत करने वाली प्रवृतियों का जिक्र किया और कहा कि लोकतंात्रिक प्रक्रिया में राजनीतिक दल काफी अहम भूमिका अदा करते हैं और सैद्धांतिक तौर पर राजनीतिक दलों की महत्वपूर्ण भूमिका यह है कि वे सामूहिक रूप से लोकतांत्रिक फैसला ले। हालाॅकि आजादी के कुछ वर्षों के भीतर यह महसूस किया जाने लगा कि राजनीतिक दलों द्वारा अपने सामूहिक जनादेश की अनदेखी की जाने लगी। विधायकों और सांसदों के जोड़-तोड़ से सरकारें बनने और गिरने लगीं। उन्होंने कहा कि दल-बदल विरोधी कानून को भारत की नैतिक राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम के रूप मंे देखा जाता है। इसी कानून ने देश में ’आया राम, गया राम’ की राजनीति को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। हालाॅकि विगत कुछ वर्षों से देश की राजनीति में इस कानून के अस्तित्व को कई बार चुनौती दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि दल’बदल कानून संसदीय प्रणाली मंे अनुशासन और सुशासन सुनिश्चित करने में अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है, लेकिन इसे परिष्कृत किए जाने की जरूरत है, ताकि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र सबसे बेहतर लोकतंत्र साबित हो सके। राजीव गांधी स्टडी सर्कल के संभागीय समन्वयक डाॅ.एन.के.व्यास कहा कि प्रत्येक राजनीतिक दलों के सदस्याओं को उनकी पार्टी की रीति-नीति और विचारधारा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। पार्टी के प्रति निष्ठा होगी, तो दलबदल की स्थिति नहीं बनेगी। जिला समन्वयक डाॅ.बिठ्ठल बिस्सा राजीव स्टडी सर्कल के उद्श्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि वर्तमान समय मं लोकतांत्रिक मूल्यों में आई गिरावट के कारण इस कानून में संशोधन की महत्ती आवश्यकता है। जिससे संविधान की मूल भावना के अनुरूप लोक व्यवस्था कायम रह सके।
डाॅ. बिस्सा ने कहा कि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में राजीव गांधी विद्यार्थी मित्र केन्द्र खोलकर राज्य सरकार ने युवाओं की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और बड़े महाविद्यालयों में ऐसे केन्द्र खुलने चाहिए। संगोष्ठी मंे श्याम नारायण रंगा, रूक्टा के प्रदेश महामंत्री वी.के.ऐरी, काॅलेज शिक्षा के सहायक निदेशक डाॅ. राकेश हर्ष और विधि महाविद्यालय के प्राचार्य अनन्त जोशी ने स्व. राजीव गांधी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने राजनीतिक दलों द्वारा दल बदलने को अवरसवादिता बताया और कहा कि राजनीति मंे जब तक सुचिता नहीं होगी,दलबदल नहीं रूकेगा। इससे पहले अतिथियों ने भारत रत्न स्व.राजीव गांधी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया और श्रद्धासुमन अर्पित किए। संगोष्ठी में जिले के महाविद्यालयों के प्राचार्य शामिल हुए।