अभा राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद की टीम ने किए साध्वीवृन्द के दर्शन
बेंगलूरु। यहां फ्रेजर टाउन स्थित जैन संघ में विराजित साध्वी शीतलगुणाश्रीजी ने कहा कि एक साधक के मन में प्रश्न उठता है कि वह जो आराधना और साधना करता है उस साधना का मूल्य क्या है और जड़ क्या है। वह परमात्मा से आग्रह करता है कि मुझे धर्म का मूल या जड़ जानना है। उन्होंने कहा कि हम जो भी पूजा-अर्चना या आराधना करते हैं वह तो वृक्ष के समान है। उन्होंने कहा कि वृक्ष के पत्तों व डाली को काट ले तो वापस आ जाती हैं लेकिन जब उस वृक्ष को जड़ से ही काट डाला जाए तो पत्ते, फल और फूल कुछ भी हाथ में नहीं आएगा। साध्वीजी ने कहा कि हमें जड़ को सींच कर मजबूत बनाना है। शीतलगुणाश्रीजी ने कहा कि मन में प्रश्न उठता है कि जड़ क्या है और मूल क्या है। जड़ और मूल की कोई लम्बी चौड़ी व्याख्या परमात्मा ने नहीं बताई है। परमात्मा ने कहा कि धर्मो मूलो: विनय। अर्थात धर्म का मूल विनय है। विनय का मतलब नम्रता और झुक जाना है। जिस व्यक्ति में झुकने के भाव आ जाते हैं वह धर्म को उपलब्ध हो सकता है। अखिल भारतीय राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भंवरलाल कटारिया, राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश हिराणी, दक्षिण प्रांतीय अध्यक्ष बाबूलाल सवाणी, पूर्व अध्यक्ष नेमीचंद वेदमूथा, बेंगलूरु शाखा अध्यक्ष डूंगरमल चोपड़ा, उपाध्यक्ष हेमराज जैन, मंत्री नेमीचंद संघवी, सहमंत्री दिलीप कांकरिया, कोषाध्यक्ष रमेश छतरगोता, सदस्य रिखब सोलंकी, विजयराज फोलामूथा, विजयराज भंडारी, चम्पालाल निमानी, देवीचंद गांधीमूथा, महेंद्र भंसाली, प्रकाश ओस्तवाल तथा फ्रेजर टाउन संघ के वसंतराज भंसाली, पारसमल भंसाली व विमल खांटेड़ आदि ने साध्वीवृन्द के दर्शन किए। इस अवसर पर साध्वी भव्यगुणाश्रीजी ने सभी पदाधिकारियों को मांगलिक प्रदान किया और धर्म के बारे में गहन चर्चा की। परिषद के अध्यक्ष डूंगरमल चोपड़ा ने बताया कि परिषद की ओर से वर्ष भर के दौरान गोशाला में गायों की सेवा, मानव सेवा, कोरोनो के दौरान जरूरतमंदों की सेवा, शिक्षा के क्षेत्र में प्रति वर्ष तीन हजार बच्चों को किताब-कापियों का वितरण तथा इस कोरोना काल में अनेक कार्य हाथ में लिए गए, जिन्हें परिषद के सहयोग से पूरा किया गया। इससे पूर्व फ्रेजरटाउन जैन संघ एवं चातुर्मास समिति की ओर से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भंवरलाल कटारिया व युवा परिषद के बेगलूरु शाखा अध्यक्ष डूंगरमल चोपड़ा का बहुमान शाल व माला द्वारा किया गया। प्रकाश हिराणी ने परिषद के गठन सम्बन्धी विस्तृत पूरी जानकारी दी। साथ ही कहा, परिषद की टीम पिछले सात वर्षों से संयम वंदन यात्रा करती आ रहे है जिसमें अनेक तीर्थ स्थल सहित विभिन्न स्थानों पर विराजित साधु-साध्वीजी इत्यादि के दर्शन हेतु क़रीब 50 जगह पर जाते है।