व्यापार में उछाल आएगा, कीमतों में होगी वृद्धि
बुध को राजकुमार माना जाता है, सूर्य के सबसे करीब बुध ग्रह ही है
कुंडली में बुध और सूर्य लगभग साथ-साथ ही रहते है
जयपुर। बुध देव 14 अक्टूबर को तुला राशि में वक्री चाल चलेंगे और फिर 3 नवंबर को मार्गी होंगे। ज्योतिष शास्त्र में किसी भी ग्रह का वक्री अवस्था में फल अच्छा नहीं माना जाता है। नवग्रहों में राजकुमार यानि बुध को एक तटस्थ ग्रह माना जाता है परंतु विभिन्न ग्रहों से युति के कारण इसके फलों में भी परिवर्तन देखने को मिलते हैं। बुध ग्रह सौरमंडल के 9 ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य के करीब है। बुध ग्रह की गतिविधियां लोगों के जीवन में काफी मायने रखती है। कुंडली में बुध ग्रह की अच्छी स्थिति व्यक्ति को तार्किक क्षमता देती है, इसके प्रभाव से व्यक्ति गणितीय विषयों में अच्छा प्रदर्शन करता है। बुध के वक्री होने से व्यापार में उछाल आएगा और कीमतों में वृद्धि होगी।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इससे पहले बुध ने तुला राशि में 22 सितंबर को प्रवेश किया था, अब ये इसी राशि में ही वक्री होने जा रहे हैं। बुध 14 अक्तूबर की सुबह 6 बजकर 30 पर तुला राशि पर गोचर करते हुए वक्री हो रहे हैं, पुनः 3 नवंबर की रात्रि 11 बजकर 15 पर इसी राशि पर भ्रमण करते हुए मार्गी होंगे। बुध की इस उल्टी चाल का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कोई भी ग्रह अपनी उल्टी चाल में उतने अच्छे फल नहीं देता है जितने की वह सीधी चाल में देता है। किसी भी राशि में ग्रह का वक्री होने अच्छा नहीं माना जाता, हालांकि कुंडली में स्थिति के अनुसार यह लाभप्रद भी होता है। वक्री होने का मतलब है कि अब बुध तुला राशि में उल्टी चाल चलेंगे। बुध के खराब परिणामों में फैसला लेने की क्षमता न होना, सिर दर्द, त्वचा आदि के रोग हो सकते हैं। अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह अच्छा है तो आपको वाणी, शिक्षा, शिक्षण, गणित, तर्क में लाभ मिलता है।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि बुध ग्रह हमारी जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। वहीं सप्ताह में इसका दिन बुधवार माना गया है साथ ही इस दिन के और इस ग्रह के कारक देव श्री गणेश जी माने जाते हैं। बुध ग्रह शुभ ग्रहों (गुरु शुक्र और बली चंद्रमा) के साथ होता है तो यह शुभ फल देता है और क्रूर ग्रहों (मंगल केतु शनि राहु सूर्य) की संगति में अशुभ फल देता है। बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। कन्या इसकी उच्च राशि भी है जबकि मीन इसकी नीच राशि मानी जाती है। 27 नक्षत्रों में बुध को अश्लेषा ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। हिन्दू ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि तर्क संवाद गणित चतुरता और मित्र का कारक माना जाता है। सूर्य और शुक्र बुध के मित्र हैं जबकि चंद्रमा और मंगल इसके शुत्र ग्रह हैं।
आइए विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास से जानते हैं कि बुध के वक्री होने से राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
मेष राशि
इस गोचर के वक्त वक्री अवस्था में बुध आपके सप्तम भाव में गोचर करेगा। यह आपके वैवाहिक जीवन में भी बहुत से उतार-चढ़ाव लेकर आ रहा है। इसके अलावा आपके पार्टनरशिप के बिजनेस में विवाद बढ़ सकते हैं। यदि आप शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं तो, अभी शादी की तारीख को बुध के मार्गी होने तक टाल दें अन्यथा परेशानी हो सकती है।
वृषभ राशि
बुध वक्री अवस्था में आपके षष्टम भाव में प्रवेश करेगा। ज्योतिष में इस भाव को शत्रु भाव कहा जाता है। इस भाव से विरोधियों, रोग, पीड़ा, जॉब, कम्पीटीशन, रोग प्रतिरोधक क्षमता, शादी-विवाह में अलगाव एवं कानूनी विवादों को देखा जाता है। बुध का ये वक्री गोचर आपके लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहा है।
मिथुन राशि
वक्री बुध गति से आपके पंचम भाव में प्रवेश करेगा। इस भाव से रोमांस, संतान, रचनात्मकता, बौद्धिक क्षमता, शिक्षा एवं नए अवसरों को देखा जाता है। आपको जरूरत है- हर चुनौती के लिए खुद को तैयार रखने और प्रतिभाओं को समय रहते निखारने की। पारिवारिक जीवन में मां को आपके चलते कोई लाभ मिल सकता है। इस दौरान आप में आत्मविश्वास और रचनात्मक क्षमता की बढ़ोतरी साफ दिखाई देगी।
कर्क राशि
बुध आपके चतुर्थ भाव में संचरण करेगा। कुंडली के चौथे भाव को सुख भाव कहा जाता है। इस भाव से माता, जीवन में मिलने वाले सभी प्रकार के सुख, चल-अचल संपत्ति, लोकप्रियता एवं भावनाओं को देखा जाता है। वक्री बुध के गोचर के दौरान, आप अपनी सारी ऊर्जा घर की मरम्मत और साज-सज्जा पर लगाते दिखाई देंगे।
सिंह राशि
वक्री बुध आपके तृतीय भाव में प्रवेश करेगा. कुंडली में तीसरे घर को सहज भाव कहा जाता है। इस भाव से व्यक्ति के साहस, इच्छा शक्ति, छोटे भाई-बहनों, जिज्ञासा, जुनून, ऊर्जा, जोश और उत्साह को देखा जाता है। वक्री बुध आपके लिए अनुकूल रहने वाला है। भाई-बहनों के साथ समय बिताएंगे। रिश्तों में आ रही दूरियां खत्म होगी।
कन्या राशि
वक्री बुध आपके तृतीय भाव में प्रवेश करेगा। कुंडली में तीसरे घर को सहज भाव कहा जाता है। इस भाव से व्यक्ति के साहस, इच्छा शक्ति, छोटे भाई-बहनों, जिज्ञासा, जुनून, ऊर्जा, जोश और उत्साह को देखा जाता है। वक्री बुध आपके लिए अनुकूल रहने वाला है। भाई-बहनों के साथ समय बिताएंगे। रिश्तों में आ रही दूरियां खत्म होगी।
तुला राशि
वक्री बुध का गोचर, आपके प्रथम भाव में होगा। इसे लग्न भाव भी कहते हैं. प्रथम भाव को हमारे व्यक्तित्व का आइना बताया गया है। आपके लग्न में वक्री बुध का गोचर, आपके लिए बेहद शुभ साबित होगा। आपको भाग्य का साथ मिलेगा, जिससे आप अपने कार्य की हर बारीकी को समझते हुए ही उस कार्य को करेंगे।
वृश्चिचक राशि
बुध ग्रह का गोचर आपकी राशि से द्वादश भाव में होगा। बुध ग्रह आपके लिए अष्टम तथा एकादश भाव का स्वामी है। ज्योतिष में द्वादश भाव व्यय भाव कहलाता है। इस भाव से खर्चे, हानि, मोक्ष, विदेश यात्रा आदि को देखा जाता है। ऐसे में इस गोचर के दौरान वक्री बुध आपको प्रतिकूल फल देगा।
धनु राशि
वक्री बुध आपकी राशि के लिए सप्तम और दशम भाव का स्वामी ग्रह है। इस भाव से आय, जीवन में प्राप्त होने वाली सभी प्रकार की उपलब्धियां, मित्र, बड़े भाई-बहनों आदि को देखा जाता है। बुध का ये वक्री गोचर, आपके लिए विशेष लाभकारी सिद्ध होने वाला है। इस दौरान आपको, अपनी कमज़ोर पड़ी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के कई अवसर प्राप्त होंगे।
मकर राशि
बुध ग्रह का गोचर आपकी राशि से दशम भाव में होगा। ज्योतिष में दशम भाव, करियर और प्रोफेशनल, पिता की स्थिति, रुतबा, राजनीति एवं जीवन के लक्ष्यों की व्याख्या करता है। इसे कर्म भाव भी कहा जाता है। बुध का ये गोचर, मकर राशि के जातकों के लिए विशेष भाग्यशाली रहने वाला है। यह वो समय होगा जब आपको अपनी पूर्व की मेहनत अनुसार ही फल मिलेंगे।
कुंभ राशि
बुध ग्रह वक्री अवस्था में आपकी राशि के नवम भाव में गोचर करेगा। ज्योतिष में नवम भाव को भाग्य भाव कहते हैं। इस भाव से व्यक्ति के भाग्य, गुरु, धर्म, यात्रा, तीर्थ स्थल, सिद्धांतों का विचार किया जाता है। इस गोचर से बेहद शुभ फलों की प्राप्ति होगी। आपको तरक्की व उन्नति के कई सुन्दर अवसर मिलेंगे।
मीन राशि
वक्री बुध गोचर के दौरान आपके अष्टम भाव में प्रवेश करेगा। कुंडली के अष्टम भाव को आयुर्भाव कहा जाता है। इस भाव से जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव, अचानक से होने वाली घटनाएं, आयु, रहस्य, शोध आदि को देखा जाता है। इसलिए मीन राशि के जातकों को वक्री बुध से कम अच्छे फलों की प्राप्ति होगी।
बुध दोष के उपाय..
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि बुध से पीड़ित व्यक्ति को मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए। बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए और साबूत हरे मूंग का दान करना चाहिए। बुधवार के दिन गणपति को सिंदुर चढ़ाएं। बुधवार के दिन गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं। दूर्वा की 11 या 21 गांठ चढ़ाने से फल जल्दी मिलता है। पालक का दान करे। बुधवार को कन्या पूजा करके हरी वस्तुओं का दान करे।