भैरव अष्टमी पर्व शिविर का आगाज 1 दिसंबर से उज्जैन में
उज्जैन। प्राचीनतम देवभूमि बाबा महाकाल की अवन्तिकानगरी उज्जैन में विश्व इतिहास में पहली बार इस वर्ष भैरव अष्टमी के अवसर पर आठ दिवसीय भक्ति साधना एवं अनुष्ठान के आयोजन का आगाज 1 दिसंबर से होगा। यहां इंदौर मार्ग पर त्रिवेणी घाट शनि मंदिर के समीप शांति आश्रम को श्री मनोवांछित पूर्ण नाकोडा भैरव धाम के रूप में स्थापित किया गया है। मां पद्मावती के परम उपासक, भैरव देव के सिद्ध साधक, राष्ट्रसंत, परम पूज्य गुरुदेव डॉ वसंत विजय जी महाराज साहेब की पावन निश्रा में यह भव्य साधना-भक्ति का शिविर आयोजित होगा। जहां 21 फीट की अति दिव्य ऐतिहासिक एवं विशालकाय श्री नाकोडा भैरव देव की प्रतिमा का निर्माण हो रहा है, यही नहीं पश्चिम बंगाल के सुविख्यात कलाकार इसी जगह पर संपूर्ण भारत के 27 शक्तिपीठ की प्रतिमाओं का भी निर्माण कर रहे हैं। संकेश जैन ने बताया कि पूज्य गुरुदेव-संतश्रीजी के सानिध्य में आठ दिवसीय भैरव मंत्र, जप, हवन साधना शिविर पूर्णतया सरकारी स्तर पर जारी कोरोना की गाइडलाइंस के तहत आयोजित होगा। वैश्विक स्तर पर दुखी व पीड़ित लोगों के लिए रोग-दोष दुख दरिद्रता के नाश के लिए 1 दिसंबर से 8 दिसंबर तक विश्व इतिहास में पहली बार सवा लाख पुष्प, सवा लाख फल व सवा लाख रुद्राक्ष से सुसज्जित भैरव देव मंडप में 8 दिनों तक अखंड जाप तथा हवन विधान के सहित प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना व भक्ति संध्या के साथ विविध आयोजन होंगे। 1008 किलोग्राम की विभिन्न मिठाइयों का महा भोग भी भैरव देव को अर्पण होगा। राष्ट्रसंत श्रीजी डॉ वसंत विजय जी ने बताया कि व्यक्ति प्रभु भक्ति से ही श्रेष्ठता प्राप्त कर सकता है। इसके लिए तन-मन से उसकी निष्ठा जरूरी है। उन्होंने कहा कि सांसारिक व्यक्ति सिर्फ अपने व अपनों के बारे में ही सोचता है, मगर साधु तो संसार के हित की सोच रखता है। संत अर्थात साधु की दृष्टि में हर जीव, हर व्यक्ति अच्छा ही होता है। उन्होंने कहा कि शालीनता व श्रेष्ठता से ही पवित्रता और शुद्धता आती है। उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्ति में श्रद्धाभाव से अपना नहीं, अपनापन होना महत्वपूर्ण होता है।