जयपुर। ज्योतिषीय गणना के अनुसार आगामी वर्ष 2021 में विवाह मुहूर्त कम हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के पहले माह में केवल एक मुहूर्त है और यह मुहूर्त 18 जनवरी को पड़ेगा, जो नए साल का पहला मुहूर्त होगा। यह जानकारी ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने दी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 18 जनवरी के बाद बृहस्पति और शुक्र ग्रह के कारण साल के शुरुआती महीनों में विवाह नहीं हो पाएंगे। दरअसल, मकर संक्रांति के बाद 19 जनवरी से 16 फरवरी तक गुरु तारा अस्त है, जिस कारण इस अवधि में विवाह नहीं हो पाएंगे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक, विख्यात ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इसके बाद 16 फरवरी से ही शुक्र तारा के अस्त होने से शहनाई नहीं बज पाएगी। यह अवधि 17 अप्रैल तक रहेगी। ऐसे में इस साल का दूसरा विवाह मुहूर्त 22 अप्रैल को होगा। 22 अप्रैल के बाद से देवशयनी एकादशी 15 जुलाई तक विवाह के मुहूर्त हैं। इस बीच 37 विवाह मुहूर्त पड़ रहे हैं। वहीं, 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी से 13 दिसंबर तक विवाह के लिए कुल 13 मुहूर्त होंगे।
साल 2021 में विवाह मुहूर्त..
जनवरी - 18
अप्रैल - 22, 24, 25, 26, 27, 28, 29, और 30
मई - 1, 2, 7, 8, 9, 13, 14, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 28, 29 और 30
जून - 3, 4, 5, 16, 20, 22, 23, और 24
जुलाई - 1, 2, 7, 13 और 15
नवंबर - 15, 16, 20, 21, 28, 29 और 30
दिसंबर - 1, 2, 6, 7, 11 और 13
15 दिसंबर 2020 से 14 जनवरी 2021 तक मलमास..
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस महीने के शुरुआती पखवाड़े में भी मात्र चार मुहूर्त पड़ेंगे। इसके बाद 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक मलमास रहेगा।
जनवरी से मार्च तक शुभ मुहूर्त नहीं..
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि अगले साल 2021 में जनवरी से लेकर मार्च तक तारा अस्त रहने से विवाह के मुहूर्त नहीं हैं। अप्रैल, मई, जून और जुलाई में कुल 38 मुहूर्त हैं। इसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाएगा और फिर चार माह तक विवाह नहीं किया जा सकेगा।
देव गुरु रहेंगे अस्त..
अनीष व्यास ने बताया कि नये साल 2021 में 7 जनवरी से 15 फरवरी के बीच देव गुरु अस्त रहेंगे। इसके बाद होलाष्टक और फिर 14 मार्च से 14 अप्रैल तक पुन: मीन मलमास रहेगा। इसलिए अप्रैल के पहले पखवाड़े तक कोई मुहूर्त नहीं है। महज अप्रैल, मई, जून और जुलाई में ही कुछ श्रेष्ठ मुहूर्त होंगे। इसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाएगा।
वसंत पंचमी पर भी नहीं हो पाएगी शादी..
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि साल 2021 में वसंत पंचमी 16 फरवरी को है। शास्त्रों में इसे भी शादी जैसे मांगलिक कार्य के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है, लेकिन इस दिन सूर्योदय के साथ ही शुक्र तारा अस्त हो जाएगा। इस कारण इस दिन भी विवाह का योग नहीं बन रहा है।
विवाह मुहूर्त में लग्न का महत्व..
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि शादी-ब्याह के संबंध में लग्न का अर्थ होता है फेरे का समय। लग्न का निर्धारण शादी की तारीख तय होने के बाद ही होता है। यदि विवाह लग्न के निर्धारण में गलती होती है तो विवाह के लिए यह एक गंभीर दोष माना जाता है। विवाह संस्कार में तिथि को शरीर, चंद्रमा को मन, योग व नक्षत्रों को शरीर का अंग और लग्न को आत्मा माना गया है यानी लग्न के बिना विवाह अधूरा होता है।
क्यों मिलाई जाती है कुंडली..
ज्योतिषाचार्य एवं कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि रीति-रिवाज और पंचांग के अनुसार विवाह में वर और वधू के बीच दोनों की कुंडलियों को मिलाया जाता है। इस व्यवस्था को कुंडली मिलान या गुण मिलान के नाम से जानते हैं। इसमें वर और कन्या की कुंडलियों को देखकर उनके 36 गुणों को मिलाया जाता है। जब दोनों के न्यूनतम 18 से 32 गुण मिल जाते हैं तो ही उनकी शादी के सफल होने की संभावना बनती है। बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके गुण मिलान में 24 से 32 गुण तक मिलते हैं लेकिन वैवाहिक जीवन बहुत ही दुश्वारियों भरा होता है। इसका मुख्य कारण पुरुष-स्त्री दोनों के जीवन का अलग-अलग विश्लेषण करने से पता चलता है।