पार्श्व प्रभु के जन्म कल्याणक अवसर पर विशाल अखंड भंडारे के साथ मंदिरों व घर-घर बंट रहे लड्डू
उज्जैन। श्री पार्श्व पद्मावती के उपासक, विश्व शांतिदूत, सर्वधर्म दिवाकर, राष्ट्रसंत, परम् पूज्य गुरुदेव श्री डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब ने कहा कि जिन महापुरुषों को अपनी क्षमताओं पर विश्वास होता है वे ही वास्तविक धर्म के संस्थापक एवं सूत्रधार होते हैं। इसी वास्तविक और विशुद्ध धर्म को जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथजी ने स्थापित कर उपदेश दिया था कि यदि धर्म इस जन्म में शांति और सुख नहीं देता है तो उससे पारलौकिक शांति की कल्पना व्यर्थ है। डॉ वसंतविजय जी शुक्रवार को यहां रामघाट स्थित शहनाई गार्डन में भगवान पार्श्वनाथजी के जन्म कल्याणक अवसर पर अपने सतविचार व्यक्त कर रहे थे। संतश्रीजी ने कहा कि प्रभु पार्श्वनाथजी ने हमारी आस्था को नये आयाम दिये और यह भी संदेश दिया कि हमारे भीतर अनंत शक्ति है, असीम क्षमता है। जीवंत धर्म की प्रतिस्थापना के साथ उन्होंने जिस धर्म का उपदेश दिया, वह न ब्राह्मण धर्म था, न क्षत्रिय धर्म, न वैश्य धर्म और न ही शूद्र धर्म। वह विशुद्ध धर्म था, जो किसी कुल, जाति या वर्ण की परिधि में सिमटा नहीं था। डॉ वसंतविजयजी ने यह भी कहा कि भगवान पार्श्वनाथजी की जन्म कल्याणक महा महोत्सव को उल्लासपूर्ण मनाते हुए हमें पार्श्वनाथजी के जीवनदर्शन को जीवनशैली बनाने का भी संकल्प लेना होगा। पार्श्व प्रभु के जन्म कल्याणक के चार दिवसीय विशाल भक्ति व भंडारे के आयोजन के तहत दूसरे दिन शहनाई गार्डन में सर्वधर्म के संत-महंत व श्रद्धालुजनों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर प्रसाद ग्रहण किया।
पार्श्व महा पूजन हुआ, हजारों लड्डुओं के भोग प्रसाद का वितरण प्रारंभ
इससे पूर्व गुरुदेव श्रीजी की निश्रा में श्री उवसगहरम पार्श्व महा पूजन हुआ, साथ ही संतश्रीजी की प्रेरणा से बाबा महाकाल मंदिर, अवन्तिका पार्श्वनाथ मंदिर सहित अनेक मंदिरों के श्रद्धालुओं को व उज्जैन में विभिन्न मोहल्लों में घर-घर में शुद्ध देशी घी के 200-200 ग्राम के हजारों लड्डुओं के भोग प्रसाद का वितरण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम में आयोजन से जुड़े लाभार्थी परिवार मातुश्री अमरुदेवी एवं हरिराम सहारण परिवार का सम्मान किया गया।
भक्ति संध्या में अनेक कलाकारों ने संगीतमय प्रस्तुतियां
शाम को भक्ति संध्या में अनेक कलाकारों ने संगीतमय प्रस्तुतियां दी। गुरुभक्त संकेश जैन ने बताया कि शैलेंद्र प्रकाश तलेरा, अजय कटारिया, कमलेश अग्रवाल, रितेश नाहर, धर्मभाई प्रजापति, सतीश दोशी, उमंग कोठारी, तेजसिंह दरबार, नीरज वर्मा, ललित कोठारी, नितिन लूणिया, सुरेश मकवाना, संजय जैन, तन्मय चोरड़िया, ऋषभ मेहता, गौरव प्रजापति सहित अनेक गुरुभक्तों ने सेवा सहयोग में योगदान दिया। कार्यक्रम का संचालन अनिल लुणावत ने किया।