रिश्ते चाहे पारिवारिक हो या सामाजिक ; सरलता, निर्मलता और विवेक ज़रुरी : नीलम ललवानी

 


सखी-सहेली का बीबीयूएल में कार्यक्रम





बेंगलुरु। यहां के बीबीयूएल ऑडिटोरियम में सखी सहेली ग्रुप का पहला कार्यक्रम "आओ, रिश्तों में जान डाले" सामूहिक संवाद के साथ संपन्न हुआ। सखी-सहेली की संस्थापिका नीलम ललवानी ने बताया कि वर्तमान दौर की हर घर-परिवार से जुड़े विषय पर गंभीर मंथन के साथ हमारी यह शुरुआत आज बड़े ही उत्साह के साथ, सभी महिलाओं के सहयोग से संपन्न हुई। उन्होंने बताया कि राजकुमारी चंडावत व दिव्या ललवानी के मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। फुलवा नाहर ने सभी महिलाओं का स्वागत किया। पूनम चोपड़ा व दिव्या ललवानी का नृत्य प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। प्रमुख समाजसेविका श्रीमती उषा मुथा ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए खेल प्रतियोगिता रखी। सभी महिलाओं ने मंच पर आकर अपना अपना परिचय दिया, इनमें से ज्यादातर मेंबर्स पहली बार ही मंच पर आकर बोले है। जिन्होंने हटकर यानी विशेष तरीके से अपना परिचय दिया उनको पुरस्कृत किया गया। गुणवंती धोका ने भी अपने विचार रखे। नीलम ललवानी ने बड़े ही खूबसूरती से रिश्तों को निभाने के लिए, प्रेम, सब्र, त्याग आदि का महत्व बताया,  जो कि स्वयं एक रॉल मॉडल व इसकी उदाहरण हैं। नीलम ने कहा कि रिश्ते चाहे पारिवारिक हो, सामाजिक हो, हम अपने मन की सरलता से, निर्मलता स और विवेक से मधुर बना सकते हैं। नीलम बंब, वीनू सियाल, रीना बागरेचा, अनीता धोका, मंजू बालिया, भावना संघवी, कांता समदड़ीया, अर्चना साह, निकिता, प्रिया गांधी व ममता सहित अनेक महिलाएं उपस्थित रहीं व इन सभी का योगदान भी सराहनीय रहा। नीलम ने बताया कि उनका सपना था कि महिलाओं का एक ऐसा मंच होना चाहिए, जहां पर वह अपनी प्रतिभा को जानते हुए तथा अपने हुनर को उभारते हुए दुनिया के सामने अपने आप को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकें। सखी-सहेली का मंच इसी क्रम में एक नया मुकाम हासिल करेगा। आयोजन के विशिष्ट सहयोग के लिए जीतो के बेंगलुरु चैप्टर के चेयरमैन अशोक नागोरी का भी उन्होंने आभार जताया।