औषधीय गुणों का भण्डार मरूस्थल का जहाज ऊँट है : राज्यस्तरीय ई-पशुपालक चौपाल



बीकानेर, 28 अप्रेल (सीके न्यूज/छोटीकाशी)। राजस्थान में बीकानेर के वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा राज्यस्तरीय ई-पशुपालक चौपाल बुधवार को आयोजित की गई। मरूस्थल का जहाज 'ऊँट' औषधि के भंडार की ओर विषय पर राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर के निदेशक डॉ आर्तबन्धु साहू ने विशेषज्ञ रूप से ऊँट पालकों से संवाद किया। कुलपति प्रो विष्णु शर्मा ने पशुपालक चौपाल में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ऊँट राजस्थान की कला संस्कृति, पोषण एवं पशुपालकों की आजीविका का महत्वपूर्ण अंग है। आवागमन के अन्य साधनों के प्रचलन से ऊँटों का उपयोग धीरे.धीरे कम हो रहा है। ऊँट के उत्पादों का वैज्ञानिक विशलेषण एवं मूल्यांकन करके समाज में इसकी विशेष पहचान बनाई जा सकती हैै। कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि कोविड.19 की विपरित परिस्थितियों में ई.पशुपालक चौपाल पशुपालकों तक संदेश पहुचांने का बहुत ही सफल नवाचार है। उन्होंने सभी से कोविड.19 के राज्य सरकार के दिशा निर्देशों की पालना करने के लिए आग्रह किया। प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो राजेश कुमार धूडिय़ा ने विषय प्रवर्तन करते हुए बताया कि ऊँट अपनी शारीरिकी एवं कार्यिकी विशेषताओं के कारण राजस्थान का विशेष पशु है एवं पशुपालकों की आजीविका का महत्वपूर्ण स्तोत है। वर्ष 2019 की पशुगणना के अनुसार देश में 2.5 लाख ऊँट है जिसमें से 2.13 लाख राजस्थान में हैं। वर्ष 2012 की पशुगणना की तुलना में ऊँटों की संख्या में लगभग 37 प्रतिशत की कमी आई है जो कि चिन्ता का विषय है अत: ऊँटों की उपयोगिता के विभिन्न आयामों पर ध्यान देकर पशुपालकों के मध्य इसकी आवश्यकता को पहचान दिलाने की आज जरूरत है। आमन्त्रित विशेषज्ञ डॉ साहू ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि ऊँट राजस्थान, गुजरात एवं हरियाणा राज्यों में उपलब्ध है जिसमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा ऊँट केवल राजस्थान में है। परिवहन में इनकी उपयोगिता घटने के कारण इनकी संख्या में गिरावट आई है। विभिन्न वैज्ञानिक शोधों से ज्ञात हुआ कि ऊंटनी के दूध में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, जिंक एवं विटामिन 'ए' की मात्रा अधिक पाई जाती है जोकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, स्ट्रेस या थकान कम करने में सहायक है। ऊँटनी के दूध में पाया जाने वाले विशेष पेपटाईड रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है। शुगर या डाईबिटिक रोगियों के लिए ऊँटनी का दूध औषधि के रूप में कारगर साबित हुआ है।