ऊंट की घटती संख्या, प्रजाति के संरक्षण और इसे आगे बढ़ाया जाना निश्चित रुप से अत्यंत कठिन




CK NEWS/CHHOTIKASHI-BIKANER : नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ कैमल [एनआरसीसी] व नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एण्ड रुरल डॅवलपमेंट [नाबार्ड] के संयुक्त तत्वावधान में 'ऊंट उत्पादन प्रणाली में अवसर, चुनौतियां और इसका सुदृढ़ीकरण' विषयक एक दिवसीय संवादात्मक बैठक में  मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल रूप से जुड़े एसकेएनएयू जोबनेर के कुलपति प्रो जीत सिंह संधू ने कहा कि ऊंट प्रजाति के संरक्षण एवं इसे आगे बढ़ाया जाना निश्चित रूप से अत्यंत कठिन हो गया है। उन्होंने अलग-अलग राज्यों एवं देशों की जलवायु में भी ऊंटों की अनुकूलन विशेषता को देखते हुए इसकी विविधता पर अनुसंधान किए जाने की आवश्‍यकता जताई। साथ ही इस प्रजाति की घटती संख्या को ध्यान में रखते हुए प्रजनन दृष्टिकोण से इसकी तादाद को बढ़ाए जाने पर ध्यान देना होगा। वेटरनरी विवि के कुलपति प्रो. ए.के.गहलोत ने एनआरसीसी की खासकर दूध के क्षेत्र में उपलब्धियों एवं प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि कई ऊंट पालक भाई इस संस्थान से प्रेरित होकर दूध व्यवसाय को अपना रहे हैं परंतु इनकी संख्या बढ़ाने हेतु अधिकाधिक ऊंटपालक अपने पारंपरिक ज्ञान के साथ इस व्यवसाय में आ रही चुनौतियों से संस्थान को अवगत करवाए ताकि वैज्ञानिक इन मुद्दों पर अनुसंधान कर सकें। ऊंटों पर पूरी तरह से निर्भर राजस्थान में भी अब इसकी घटती संख्या व उपयोगिता एक चिंता का विषय है। इसे पूरी तरह व्यावसायिक रूप दिया जाना एक चुनौती भरा कार्य है। ऊंटपालकों को ऊंटों से जुड़े प्रत्येक पहलू दूध, बाल, चमड़े एवं पर्यटन के अन्य आयामों से आर्थिक लाभ दिलवाने हेतु एक मॉडल विकसित करने की महत्ती आवश्‍यकता है ताकि इससे प्रेरित होकर अधिकाधिक ऊंटपालक व्यावसायिक पालन की दिशा में आगे बढ़ सके। बैठक में विशिष्‍ट अतिथि के रूप में वर्चुअल रूप से जुड़े जयदीप श्रीवास्तव, सीजीएम, नाबार्ड, जयपुर ने कहा कि ऊंटपालन व्यवसाय को मजबूत बनाने के लिए ऊंटपालकों, उष्ट्र हितधारकों, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों को मिलकर कार्य करना होगा। इस अवसर पर पशुपालन विभाग, बीकानेर के संयुक्त निदेशक डॉ ओ.पी. किलानियां ने भी पशुपालकों को विभागीय सुविधाओं एवं योजनाओं के बारे में अवगत करवाया। केन्द के निदेशक डॉ आर्तबन्धु साहू ने कहा कि ऊंटों की घटती संख्या पर चिंतन आवश्यक है। बैठक में आयोजित तकनीकी सत्रों में डॉ वेद प्रकाश, वरिष्ठ वैज्ञानिक, वर्चुअल रूप से जुड़े केन्द्र की अनुसंधान सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ पी.के. उप्पल, डॉ. एस.एम. के नकवी, पूर्व निदेशक, सीएसडब्ल्युआरआई, अविकानगर, वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ हेमंत दाधीच एवं निदेशक प्रसार डा आर.के. धुडिय़ा ने भी इस अवसर पर किसानों को संबोधित किया। आयोजन सचिव डॉ आर.के. सावल, प्रधान वैज्ञानिक ने ऊंट की पर्यटन से जुड़ी संभावनाओं के बारे में ऊंटपालकों का ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुमन्त व्यास, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा किया गया।