शुष्क क्षेत्र में उद्यमिता विकास के लिए छोटे जुगाली करने वालों की क्षमता" विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण समापन






CK NEWS/CHHOTIKASHI बीकानेर 02 अक्टूबर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर द्वारा 'आईसीएआर सीएसडब्ल्यूआरआई के शुष्क क्षेत्र परिसर में एनएएचईपी के तत्वावधान में "शुष्क क्षेत्र में उद्यमिता विकास के लिए छोटे जुगाली करने वालों की क्षमता" विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 24 से 30 सितंबर तक आयोजित किया गया। माननीय कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह, निदेशक आईसीएआर-केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, डॉ अरुण कुमार तोमर और एनएएचईपी प्रभारी व अतिरिक्त निदेशक (बीज) डॉ. एन.के. शर्मा, प्रशिक्षण समापन के अवसर पर संबोधित किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. सिंह ने बताया की भेड़ बकरी ऐसे दो पशु है जो विपरीत परिस्थितियों में कम से कम संसाधनों के साथ पा ले जा सकते हैं। मूलतः दोनों चरने वाले पशु है और शुष्क क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण भी क्योंकि यहां चरागाह भूमि, वन क्षेत्र भूमि व बारानी क्षेत्र में रबि ऋतु के  अपकृष्य भूमि पर उगी वनस्पतियां, घास, पेड़, झाड़ियों के पत्ते फलियां व फसलों के अवशेष इनका भोजन होता है। ये पशु, किसानों के लिए दूध मांस, ऊन आदि के रूप में आय का स्त्रोत है। एशिया की सबसे बड़ी ऊन की मंडी बीकानेर में है और ऊन इंडस्ट्रीज भी यहां है। इस तरह यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बीकानेर क्षेत्र के किसानों-युवाओं के लिए उपयोगी साबित होगा। प्रशिक्षण के दौरान भेड़ बकरी पालन के उन्नत तौर तरीके, उन्नत प्रजातियो, बीमारियो, प्रबंधन आदि के बारे में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की गई एवं एक्स्पोज़र विजिट करवा कर किसानों को वैल्यू चैन की जानकारी भी दी गई। प्रशिक्षणार्थी, अवश्य ही इसका लाभ उठाकर भेड़ बकरी पालन क्षेत्र में उद्यमी बनेंगे। इस अवसर पर दोनों संस्थानों, एसकेआरएयू व सीएसडब्ल्यूआरआई ने एमओयू  पर हस्ताक्षर किए ताकि विश्वविद्यालय के कृषि व्यवसाय एवं गृह विज्ञान संकाय के विद्यार्थी सीएसडब्ल्यूआरआई संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर भेड आधारित शोध को और आगे बढ़ा सकें साथ ही कृषि विश्वविद्यालय में चल रही चारागाह अनुसंधान परियोजना का भी लाभ मिल पाए।