अन्य विभागों में कार्य व्यवस्थार्थ लगे शिक्षकों/कार्मिकों की व्यवस्था समाप्त, उपस्थिति मूल पदस्थापन वाले दफ्तर में देने का परिपत्र जारी...





जयपुर। राजस्थान के स्कूल शिक्षा, भाषा, पुस्तकालय, पंचायती राज (प्रारंभिक शिक्षा) एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के पवन कुमार गोयल ने अन्य विभागों में कार्य व्यवस्थार्थ लगे शिक्षकों/कार्मिकों की व्यवस्था समाप्त कर उन्हें अपनी उपस्थिति मूल पदस्थापना वाले दफ्तर में तत्काल प्रभाव से देने का परिपत्र जारी किया है। परिपत्र में यह भी बताया गया है कि शिक्षा विभाग के स्वयं के कार्यालयों में या विद्यालयों में यदि अस्थाई शैक्षणिक व्यवस्था/कार्य व्यवस्था हेतू शिक्षकों/कार्मिकों की सेवाएं ली जानी है तो उक्त आदेश भी राज्य सरकार की पूर्व अनुमति बिना जारी नहीं किये जावें। परिपत्र के अनुसार इन शिक्षकों/कार्मिकों के आहरण वितरण अधिकारी का यह दायित्व होगा कि वे इन्हें अपने मूल पदस्थापन स्थान पर कार्यग्रहण करवाएं। यदि ये किसी भी कारण से 21 दिसम्बर 2021 तक कार्य ग्रहण नहीं करते हैं तो उनका दिसम्बर माह का वेतन आहरण नहीं किया जावे व इसी भांकित यदि वे कार्यग्रहण नहीं करते हैं तो उनका आगे के वेतन का आहरण नहीं किया जावे। वर्तमान में उक्त आदेश शिक्षा विभाग में ही किसी भी स्तर पर कार्य व्यवस्थार्थ या अस्थाई प्रतिनियुक्ति पर लगे हुए शिक्षकों/कार्मिकों तथा अन्य विभागों/कार्यालयों में राजस्थान सेवा नियम 144 'क' के तहत प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत उन शिक्षकों/कार्मिकों पर लागू नहीं होंगे, जिनके वेतन का भुगतान सम्बन्धित विभाग/कार्यालय द्वारा किया जा रहा है। परिपत्र के अनुसार नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 27 के अनुसार दस वर्षीय जनगणना, आपदा प्रबंधन, चुनाव कार्यों, पल्स पोलियो अभियान आदि के लिए भी शिक्षकों की सेवाएं ली जाती है, किंतु इस तरह के कार्यों के सम्पन्न होने के पश्चात् भी शिक्षकों/कार्मिकों को उनके मूल पदस्थापन स्थान के लिए कार्यमुक्त नहीं किया जाता है। उक्त स्थिति नितांत अस्वीकार्य है।