राजस्थान विवि के कुलपति प्रो. राजीव जैन बोले ; गांधी जी प्रासंगिक थे, प्रासंगिक हैं और प्रासंगिक रहेेंगे





शहीद दिवस पर पुष्पांजलि एवं विचार गोष्ठी का आयोजन


जयपुर, 30 जनवरी (सीके न्यूज।छोटीकाशी)। शहीद दिवस के उपलक्ष्य में गांधी अध्ययन केन्द्र, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के तत्वाधान में पुष्पांजलि एवं विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। केन्द्र के निदेशक डॉ. राजेश कुमार शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए राजस्थान विश्वद्यिालय के कुलपति प्रो. राजीव जैन ने कहा कि गांधीजी प्रासंगिक थे, प्रासंगिक हैं और प्रासंगिक रहेंगे। उन्होंने कहा कि गांधी के विचार और मूल्यों को आत्मसात करने के लिए युवा पीढी का आह्वान किया। गांधी के सत्य, अहिंसा, सर्वोदय, न्यासिता आदि के सिद्धान्त न केवल सामाजिक समरसता अपितु वैश्विक शांति का मार्ग भी प्रशस्त करेंगे। गांधी दर्शन में आज भी विश्व की ज्वलंत समस्याओं का हल मौजूद है। गांधी ने सत्य के साथ मेरे प्रयोगों के माध्यम से सभी समस्यों का व्यवहारिक समाधान भी प्रस्तुत किया है।

डॉ. मुकेश वर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि गांधी दर्शन में वैश्विक समस्याओं का  शांतिपूर्ण निदान वर्णित है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. एच. सी. शर्मा ने कहा कि गांधीजी के सपनों के भारत का निर्माण करने का जुम्मा युवा वर्ग को उठाना होगा। गांधीजी का ग्रामस्वराज हो या आज के भारत में आत्मनिर्भरता का नारा हो दोनो के लिए एक ही मार्ग का अनुसरण करना होगा वह है, गांधी मार्ग। विधि विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. संजुला थानवीं ने गांधी दर्शन के सन्दर्भ में बताया कि दूसरे में बदलाव लाने से पूर्व स्वयं में परिवर्तन लाना अति आवश्यक है। दूसरों से वही बदलाव की अपेक्षा करें जा खुद में ला सकते हैं। गांधी अध्ययन केन्द्र के निदेशक डॉ. राजेश कुमार शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आज भी हमारे भीतर गांधीजी स्ंवय विद्यमान है, उन्होंने गांधीजी के करिश्माई व्यक्तित्व में मानवता के साथ विज्ञान, शिक्षा में नैतिकता को अपनाने पर बल दिया। यदि व्यक्ति गांधी के दर्शन से अंश मात्र भी अपने जीवन में अपना ले तो व्यक्तिगत उन्नति के साथ-साथ सामाजिक उन्नति भी संभंव है। व्यक्ति के विचार उसकी सोच पर निर्भर करते हैं। कार्यक्रम में डॉ. दीपक अवस्थी, डॉ. नमोनारायण, डॉ. अजीत, डॉ. अंकेश मीणा, डॉ. दानाराम गुर्जर, डॉ. रामप्रकाश भारी, डॉ. रविकेश मीणा, सहित अनेक शोधार्थी और विद्यार्थियों ने भाग लिया।