बेंगलूरु। यहां बीमनकुप्पे स्थित देवी महाकालीजी महालक्ष्मीजी एवं मां सरस्वतीजी के मंदिर में सोमवती अमावस्या के अवसर पर प्रतिमाह की भांति हवन, पूजन व अन्नदान प्रसादम आदि का कार्यक्रम हर्षोल्लास से आयोजित किया गया। मंदिर की प्रमुख देवी मां की अनन्य उपासक गुरु मां श्री श्री डॉक्टर संगीतम्माजी के सान्निध्य में संपन्न हुए इस मेले में बेंगलूरु, मैसूरु, उडुपी, दावणगेरे सहित गुजरात, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल व राजस्थान आदि से हजारों भक्तों ने यहां धोक लगाकर गुरु मां डॉक्टर संगीतम्माजी से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर गुरु मां संगीतम्माजी ने कहा कि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे किसी प्रकार का दुख, कष्ट या संकट नहीं हो, हर व्यक्ति किसी न किसी पीड़ा से ग्रसित है। इसलिए मां की भक्ति उसे हर कष्ट में सहारा देती है। उन्होंने कहा कि पिछले 14 वर्षों से यहां प्रतिमाह अमावस्या पर हवन, पूजन के साथ विशाल भंडारे रूपी मेले में लोग प्रसाद पाते हैं। गुरु मां ने कहा कि व्यक्ति किसी भी धर्म पंथ को मानने वाला हो मगर सच्चाई यही है कि पीड़ित मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने परस्पर प्रेम, सद्भाव व भाईचारा बढ़ाने की बात पर जोर देते हुए कहा कि वह भी देवी मां से इस धरा के प्रत्येक प्राणी के लिए सुख शांति आरोग्य एवं कष्ट निवारण हेतु प्रार्थना करती हैं। उपस्थित सभी श्रद्धालुओं से भी उन्होंने कहा कि समर्पण भाव से भक्ति करें, मां प्रसन्न होकर सभी के भंडार भरेगी। परम गुरुभक्त लक्ष्मी देवी ने बताया कि मंदिर के पुजारी पंडित पुरणेश कुमार ने मां की प्रतिमाओं का पूजन अभिषेक श्रृंगार किया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में बीबीएमपी के वार्ड 198 से कॉरपोरेटर आर्या श्रीनिवास, बिल्डर डेवलपर कृष्णमूर्ति, समाजसेवी गुरु भक्त देवजी भाई पटेल, बंसीलाल पीतलिया, बीएमटीएफ सर्कल स्पेक्टर कृष्णप्पा, सुरेश कुमार, नागराज, रवि शंकर व गालप्पा सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित हुए। गुरु पुत्र दर्शन कुमार ने आगंतुक सभी श्रद्धालुओं का स्वागत एवं आभार जताया।
पीड़ित मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म : डॉ संगीतम्माजी